खुशियों को परखेंगे......


हम अपने दिल को चीर कर रख्देंगे
आज फिर खुशियों को परखेंगे...
हम आस लिए,
विश्वास लिए अपने कमसिन एहसास लिए
फ़िर जिद पर अड़कर देखेंगे...
हम अपने दिल को चीर कर रख्देंगे
आज फिर खुशियों को परखेंगे...
जो बिखर गए,
जो ठहर गए...
या इस दुनिया से बिसर गए,
वो किरदार मिटा कर रख देंगे...
हम अपने दिल को चीर कर रख्देंगे
आज फिर खुशियों को परखेंगे...
तुम मीत मेरे,
संगीत मेरे,
ह्रदय से जो निकले वो गीत मेरे.....
लो प्रणय निवेदन यही,
की निज समर्पण कर देंगे....
हम अपने दिल को चीर कर रख्देंगे
आज फिर खुशियों को परखेंगे...

......एहसास!

2 टिप्‍पणियां:

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

khushi hai ki ek shaks ne
apne ehsaasaso ke sagar main
hum jaise logo ke jeevan main
antarman ke rang ko khilta dikhaya hai...............

subhikshhao ke saath
bhaiya

रश्मि प्रभा... ने कहा…

ये हुई न कुछ बात.....खुशियों को परखना बहुत ज़रूरी है
बहुत बढियां,इसे बरक़रार रखना .

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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