तुम क्या दूर गए हमसे...!!


तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

हाथ पकड़ के वो बचपन मैं...
जब हम खेले छुप्नी-छुपाई.....
चाह के भी तब छुप ना पाये....
जब-जब तुमने आवाज लगाई.....
हार गए हर बार मगर,उस हार मैं भी हम जीते तुमसे......
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

सुबह सुबह स्कूल की बस मैं....
पास की सीट खाली रखना...
और बैठने पर पास तुम्हारे....
बस तुमसे ही बातें करना...
उन बातों मैं तुम को पाकर....
ख़ुद को भुला देते इस जग से.....
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

क्लास मैं जब मैं अवाल आता...
खुशी तुम्हारी नही समाती....
और कभी जब डांट मैं खाता...
मुझ से पहले तुम रो जाती....
मुंह बिचका के जब हम हाँसते...
हंसती फीजाएं खुशियों से....
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

बचपन साथ बिता कर...
जब आयी जीवन की तरुनाई....
साथ जियेंगे, साथ मरेंगे....
ले हाथो मैं हाथ, हमने कसम खायीं....
एक रहे हैं, एक रहेंगे.....
कोई रखे या न रखे नाता हमसे......
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

जग से तो हम लड़ भी लेते.....
पर नही भाग्य के आगे सुनवाई.....
क्यों दिए तुम्हे दो दिन, जीवन के कम...
हाय खुदाई तरस न आयी....
भूल गया तब नाम खुदा का.....
जब लिखी जुदाई उसने तुमसे......
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

वो लम्हा जब जीवन की डोरी.....
सिसक सिसक के टूट रही थी.....
गम मैं मेरे तुम, एक पल न रोना....
छलकती आँखें बोल रही थी....
"साथ तुम्हारे हर पल जीती...
नही चाहती बिछड़ना तुमसे"......
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

आज उदासी हर शब छाई....
क्यों मौत मुझे लेने न आयी....
हाय ये कैसी किस्मत पायी...
जो जीवन थी, वो ख़ुद न जी पायी॥
ऐसी सज़ा क्यों मिली है हमको....
हाय क्या गुनाह हुए थे हमसे....
तुम क्या दूर गए हमसे...
एहसास छलक उठे,
कुछ आंखों से, कुछ कलम से..........

.......एहसास

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धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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