मैं सौदागर होता!


काश मैं सौदागर होता ,
तो चाँद की चाँदनी .....
एक गठरी मैं बाँध कर लाता ,
और सबको बाँट देता!
लम्हा-लम्हा जिंदगी,
यूँ प्यासी न गुजरती।।
काश मैं सच होते सपनो का सागर होता!!
काश मैं सौदागर .........


ये जिंदगी भी होती धड़कन किसी दिल की!
और गीत मेरा हर दिल तराना होता!
 हाथों में हाथ होता ना तन्हा कोई,
 खुशियों से हर सजा घर होता!!
काश मैं सौदागर .........


पौंछ लेता हर आँख के आंसूं,
या सबके दर्द अपनी आँखों रोता!
सौदा जो करता खुशियों का गम क मोल!
मैं ऐसे सौदों का सौदागर होता!!
 
काश में सौदागर होता!

एहसास ......

वो त्याग हे, तू चाहत हे!

मन को भरमाये नभ चन्दा ......
पर पथ दिखलाता हे दीपक।।
मन बहकाए खिलता चम्पा ......
आँगन महकाती तुलसी हे।
तू स्वंप्न-सजी, मन छाया ......
वो शाश्वत हे अधिकार मेरा।

वो प्रीत हे तू हे प्रियतमा !
वो त्याग हे, तू चाहत हे!

तुझको ढूँढा किस्मत में,
वो किस्मत से आयी आँगन!
कर तन मन अपना सब अर्पण ......
मुझको जो दिया एक नव जीवन।
तू पूजा मेरे प्रेम की हे .....
में फल हूँ उसकी तपस्या का।
तू सागर हे, वो हे गंगा!
वो त्याग हे, तू चाहत हे!

दिन रात तड़प के काटी हे .....
तेरे दरस की कसक सताती हे।
कोसा हे खुदी को नाम तेरे,
यूँ रहे अधूरे अरमान मेरे!
मेरी रात सुहागन कर बैठी .......
हर सुबह स-अर्चन, सम्मान दिए!
वो थाम चली जो हाथ मेरे,
हर तड़क जला, ले साथ फेरे!
तू मावस, काम का पर्दा हे!
वो पूनम, मस्तक की बिंदिया!
तू कविता हे वो हे अर्चन,
वो त्याग हे, तू चाहत हे!

चाह के भी न तुझको जान सका ......
वो खुद को भुला मेरी पहचान बनी!
में नाम तेरे बदनाम हुआ,
वो संसार मेरा, मेरी आन बनी!
तू तू है, न तेरी काया हे!
वो मुझमे समां, मेरी छाया हे!

तू स्वप्न हे, वो मेरी रचना!
वो त्याग हे, तू चाहत हे!

वो त्याग हे, तू चाहत हे!

एहसास ........

मैं डरता हूँ ............

कहता हूँ जो जी चाहे करता हूँ ...
चाहता हूँ अच्छा,
अछे  की चाह में पल पल मरता हूँ !
हार कर एक दिन टूट कर बिखर जाउंगा ......
सोच सोच तनहईयों मैं आह  भरता हूँ !
मैं डरता हूँ ............

दिल मैं घाव हैं हजारों
खामोश अँधेरे हैं दिशाओं मैं चारों !
शोर तो दिल मैं भी है बहुत पर .......
आँखों मैं बहकर आंसूं
होटों पर ठहरे हैं यारों!
छटपटाता हूँ, दिल का हाल .....
सब से कहना चाहता हूँ !
कह दिया तो तनहा रह जाउंगा,
ये भी जनता हूँ
इन् सायों मैं अपनों का एहसास करता हूँ ......
इनसे ही मैं डरता हूँ ...
मैं डरता हूँ !


एहसास .......

एक लम्हा ......

एक लम्हा  ......


रात भरी खुशियों से ......
गुनगुनाती सी हवा थी!
मुस्कुराती निगाहों से मिली निगाह थी.....
उठती गिरती पलकों ने दी दोस्ती की सदां थी!
होठ खुले या थे सिले.....
खामोश धड़कन की बायाँ थी!
ख्वाबों से निकाल कर दे गया ख्वाब!
एक लम्हा  ......


तेरा आना जाना, तेरा मुस्कुराना!
जेसे साँसों का चलना, दिल का धडकना!
मेरी तन्हाईयों को अपनी खुशबू से महकाना!
 तेरे मिलन को तड़पना, आके तन्हाईयों में जीना सिखा गया ......
एक लम्हा  ......

तू था तो अकेले में मेले  थे  ......
समय के वार ले हाथों में हाथ झेले थे  ......
जलती थी दुनिया तो क्या  ......
हमारी रातें थी साथ, साथ सवेरे थे  ......
जो थे जैसे थे, तेरे हर पल मेरे थे  ......
इन जीवित पलों को यादें बना गया  ......
एक लम्हा  ......

हाथ खुले हैं, हाथों को थामने तेरे  ......
पथराई हैं आँखें अक्स पाने को तेरे  ......
तुझे सुनने की चाह लिए कान मेरे  ......
फिरसे तेरे सीने में ,
आँखों में तेरी जीने को अरमान मेरे  ......
मुझसे मुझको चुरा क मुझको मिटा गया  ......
एक लम्हा  ......

दिल दुखा के, हाथ छुडा के  ......
बरसों के मनमीत, पल भुला के  ......
तेरी राह तू चला गया !
छोड़ गया फिर उम्र भर को आँखों में!!
एक लम्हा  ......

एहसास  ......  ......

प्रीतम रात

आ गया चाँद , साथ   तारों की बारात आयी हे!
दीदार ए  यार की फिर मिलन की बेला आयी हे!
तेरा आना हो या न हो ए सितमगर,
तेरी याद मेरी चाहत की डोली बैठ आयी हे!!

आँखों से गिरती ये रिमझिम,
ये होटों का सिसकन संगीत!
तड़प को ले बाहों में ये सेज सजाई हे!
दिल जला के तुझसे लिए सात  फेरे......
साँसों का गठबंधन तेरी छाया संग,
अंधियारे से रोशन फिर प्रीतम रात आयी हे!!
फिर प्रीतम रात आयी हे!!

ख्वाबों का घूँघट, वादों का मंगलसूत्र .....
प्रीत की बिंदिया, रीत का बिछिया।...
बेवफाई की काया समाई हे !
बीते हर पल की खामोश चीत्कार लिए.....




फिर प्रीतम रात आयी हे!!
फिर प्रीतम रात आयी हे!!

एहसास।...........

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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