मेरा सतरंगी सांवरिया ......


मेरा सतरंगी सांवरिया....
हाथ लिए गुलाला की थरिया....
मेरा सतरंगी सांवरिया!!

आये कितने, कितने बीते!
याद नहीं फागुन के मेले!!
अबकी बार ये फागुन कैसा!
हो गयी में बांवरीयां!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

भोर की बेला अजब ये कैसी!
तन मन में मस्ती भर आयी!!
सूरज को भी रंग लगाने!
लिए रंग घिर आयी बदरीया!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

पूरा घर आँगन में उमड़ा!
हर चहरे पर खुशियाँ छाई!!
एक ही मुखड़ा, बुत बन झान्कुं !
भूल गयी नगरीय!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

धड़क धड़क के फटता जियरा!
पास मेरे जब प्रियतम आये!!
लगा अबीर कपोलन पे मेरे!
ऐसी मारी धार......
की भीग गयी चुनरिया!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

होली के हुदंग के आड़े!
ले हाथ गुलाल, प्रियतम रंग डाले!!
मीत संग होली प्रीत में भीगी!
लिपट गयी सजन संग.......
भर के दोनों हाथ, कमरीया!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

ना जानू राधा के कृष्णा!
मेरा साजन मेरा मोहन!!
वो विशाल वो रूप का योवन!
और में अपने बालम की गुजरिया!!
मेरा सतरंगी सांवरिया......

....एहसास!

क्यों साथ नही दीया?

छोड़ गए अकेले क्यों साथ नहीं दीया!
प्यार करना तो सिखाया, क्यों प्यार नहीं किया?
रहूंगा जिंदगी में शामिल....
कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में साथी बन....
पर साथ नहीं रहूँगा!!
क्यों मुझे तन्हाई का उपहार दीया?

शायद जीवन का वो वसंत था ....
जब हम एक साथ हाथों में हाथ ले हंसा करते थे!
कलियाँ भी खिली थी झूम के .....
साथ ,इस पल में कुदरत ने भी दीया!
आज जीवन का पतझड़ है....
कुदरत भी आंसू बहाती मेरे साथ है!
तुम छोड़ गए अकेले, क्यों साथ नहीं दीया?

में तो चला था हर कदम अकेला...
परछाई क्या, तुमने सिखलाया!
बेशक चलो तुम मेरे आगे,
मैंने ऐसा कब न चाहा...
निकल गए तुम इतने आगे, मुझे अपनी छाया तक न बनने दीया!
तुम रौशनी के सागर में हो खोयी...
पर याद रहे, ये चकाचोंध अक्सर भटकाजाती है...
यहाँ कुछ अँधेरा ही सही पर ॥
अक्सर अँधेरे में अपने नजदीक आ जाते हैं!
फिर , छोड़ गए अकेले क्यों साथ नहीं दीया!
प्यार करना तो सिखाया, क्यों प्यार नहीं किया?


.......एहसास!

एहसास कहाँ रहता हैं?


एहसासों के अन्तर्मन
एहसास जिया करता हैं!
प्रश्न उठे फ़िर भी हर शब....
एहसास कहाँ रहता हैं!!

जिसको देख के विचलित मन...
बन मोर चहक उठता है!
कभी-कभी वो बदरा भी....
भर-भर के नयन रोता है!!

चांद बिखेरे चाँदनी रातों को...
निकल पड़ता है!
फ़िर भी हर घर-आँगन...
अंधियारा पसरा फिरता है!!

कृति-प्रकृति की, जिसे....
एहसास शब्दों मैं पिरोता है!
उन्ही शब्दों की धार से ख़ुद...
खामोश खडा रोता है!!

साथ खड़ा मानव का मेला...
फ़िर भी,
एकाकी सफर करता है!
जो शाश्वत सत्य, जो लेख अटल...
उस लेख से ही डरता है!!

प्रश्न उठे फ़िर भी हर शब....
एहसास कहाँ रहता हैं!!
एहसास कहाँ रहता हैं!!

.....एहसास!

क्या ये मेरे स्वप्न की काया!!


एहसासों के आँचल की छाया मैं!
ह्रदय के तीव्र गतिज लहरों पर!!
वह कमला नयनी, मृगनयनी!
चली आयी सहसा शरमाये!!

घूंघट की बदली के पीछे!
शशि मुख सा था दिव्य स्वरूप!!
कभी मावस, कभी पुरान मासी!
विधु कलाएं नयना अभिरूप!!

रद पट रस गागर छलकाते!
तारक दंत मधुर मुस्काते!!
कभी भिचते, कभी खुल खुल जाते!
ज्यों की पुष्प सहर मुस्काते!!

चन्द्रिका शोभित मस्तक पर!
पुष्प हार लिए कोमल कर!!
देह से बहे मध्य कस्तूरी!
मुस्कान बहे ज्यों की निर्झर!!

श्वेत वर्ण और कोमल काया!
उसपे मलमल, रक्तिम साया !!
शीर्ष से तल तक स्वर्णिम आभा !
क्या ये मेरे स्वप्न की काया!!

.......एहसास !

जीवन का सार ......


"कविता ऐ मौत ",
तू ही जीवन का सार है!
तू ही जिंदगी के हर सुख की झंकार है.....
है निराकार, फ़िर भी महा विकराल...
नही तेरा कोई पारावार है!!

है शाश्वत सत्य ,
तू फ़िर भी घोर अन्धकार है!
है असीम शान्ति पुंज,
फ़िर भी कलह का प्रसार है!!

तू ही आदि,
तू ही अंत......
तू ही जिंदगी का आधार है!
ऐ मौत तू ही जीवन का सार है!!

.......एहसास!

अब कहाँ हैं?

जौ आंखों की शरम को समझें , रिश्तों की मर्यादा पहचाने...
न जाने कहाँ खो गाए, वो एहसास अब कहाँ हैं?

बैंक बैलेंस से तो "भगवान्" भी खरीद लिए जाते हैं,
प्यार क्या, पैसे के दम प्यार के एहसास तक बिक जाते हैं।
शर्म जो कभी गहनों में शुमार हुआ करती थी,
अंग के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए अब तो वो गहना..."गिरवी" रख आते हैं!!

अभी तो हम विकसित हुए हैं...मर्यादा के चोले सिर्फ कुछ कम किये हैं...
परम्पराओं को पिछ्डापन, और आध्यात्म को अंधविश्वास ही कहा है,
पढ-लिख गए हैं,
अभी तो विकास के कई प्रदर्शन बाकि हैं!!

खोज न करो, ये x-जेनरेशन का जहाँ हैं....
कौन बच्चा है संस्कारी, ये संस्कार कहाँ हैं...
कहीं सोशल स्टेटस घट न जाये, बेचारी घबराती हैं !
माँ भी अब बचे को दूध पिलाने से कतराती हैं!!

जो गुजर गयी, उस पीड़ी की बात करते हैं!
जो राम और कृष्ण के किस्से, पूजा की तरह पड़ते हैं!!
ये तो आधुनिकता का ज़माना हैं!
जहाँ हर जुबान पर लेटेस्ट M-टीवी, F-टीवी के किस्से चलते हैं!!

ना दो उपदेश ऐसे जिनका न अस्तित्व यहाँ हैं!
बस हम हैं विक्सित, हमारी उन्मुक्तता, उछ्श्रन्खालता यहाँ हैं !!
बार बार आके रोको न ऐसे!
नहीं यहाँ कोई मानव, न रिश्ता...
एक बिना एहसास का, मशीनी पुतला यहाँ हैं!!

जो शर्म से सिमटा...वो एहसास कहाँ हैं?
जो मर्यादा में मिटाता ......वो एहसास कहाँ हैं?
जो संस्कार को साधे....वो एहसास कहाँ हैं?
जो रिश्तों को पहचाने...वो एहसास कहाँ हैं?

एहसास किससे कहे...किसे पुकारे,"सत्यम-शिवम्-सुन्दरम", जो सर्वोपरी॥
भगवान् जो कभी घर घर में था ....
मंदिरों में जा बैठा॥
अब कहाँ हैं? अब कहाँ हैं?

........एहसास !

टूटते तारे


गम बहुत थे,

सहने के लिए!

कुछ पलों की खुशियों के सहारे!!

जब भी दिखी हमतक आती बहारें!

न जाने क्यों हम ही बन गए......

लोगों की खुशियों को पूरा करने वाले,

टूटते तारे!!


एक नही अनेक मिले ऐसे,

जो हमे अपना कह कर पुकारा करे!

पर जब लड़खडा कर खुद ही गिरे हम,

दूर तलक भी नज़र न आये,

केवल " दो हाथों के सहारे"!!

घोर अमावासी के सितारों की बरात में.....

दुल्हा बन इतराते रहे!

पर न जाने क्यों हम ही बन गाए,

उन् सितारों की झलक को सार्थक करने वाले...

टूटते तारे!!


न कोई दुश्मन,

न कोई पराया.....

सभी तो थे हमारे!

फिर भी खुद को अकेला पाया...

जीवन के हर चोराहे!!

जब तलक दूर रहे वो हमे निहारा किये,

खुद हम जब उनकी चाहत के रास्ते नीचे आने लगे!

तो, न जाने क्यों हम ही बन गए,

दूसरे किसी को पाने की चाहत को पूरा करने वाले.......

टूटते तारे!!


......एहसास!

एहसासों की ओस


जब याद तुम्हारी आती है!
और मायूस हुआ जाता है, मन!!
जब आँखें सुख जाती है!
दुख के सेलाब डूब जाता है, दिल!!

तब चोरी से यूं पलक उठा!
चुप चुप के झाँका करते हैं!!
बस झलक तेरी दिल में यूं छुपा!
मन ही मन पुकारा करते हैं!!

ऐ काश कभी ऐसा भी हो!
तुम हो इक पल को पास मेरे!!
उगता सूरज खुशियों का जहाँ!
वहाँ एहसासों की ओस गिरे!!

दिल से इन एहसासों को लगा!
तुम आओगे इक दिन पास मेरे!!
उस दिन टूटेगी स्वप्न -भंवर !
जब तुम मुस्कुराओगे पास मेरे!!

पर एहसासों की इस ओस को!
नैनों से संवारा करते हैं!!
सपना भी हकीकत हो जाये!
बस यही दिलासा करते हैं!!

......एहसास!

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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