काश।।

काश उजालों की चाहत ना होती,
काश अन्धेरा उदास ना होता!
इतना शोर सीने में  क्यों  हे,
काश सन्नाटा बाहर  ना होता !

इश्तेहारों की तरह होता ये जीवन,
कोई पढ़ के ललचाया तो होता,
में भी मैं होता... वो भी वो होता। ...
काश जीवन  धारा के किनारों सा ना होता!!

कहकहों में डूबा....... .. किस्सों का लम्हा ,
महफ़िलों का रोशन दिया सा होता!
उम्मीदों की चिता सा जलता,
काश में एक कहानी ना होता!!

एहसास...... ना होता

एहसास...... !!

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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