फासले


फासले

ये फासले तेरे - मेरे!
मुझे तेरे नजदीक लाते हैं!
जब जब उठती हैं, नज़रें तेरी तरफ़......
ये कदम ख़ुद - बा - ख़ुद,
तेरी राहों पे उठ जाते हैं!!

कसमे खायीं, वादे किए ख़ुद से कई बार मगर!
जब भी भुलाना चाहा तुझे,
तेरी यादों के बादल ......
उमडे चले आते हैं!!

तुझे बेवफा कहूं भी तो कैसे,
आख़िर इतने फासलों के बावजूद...
तेरे सितम मुझ से,
शिद्दत से वफ़ा निभाते हैं!!

तू खुश रहे यूँही,
यूँही इश्क के दमन मैं झूले!
इश्क तुमसे किया ये गुनाह हमारे थे....
तभी तो अकेले हम, सजा पाते हैं!!

गुनाह के ये मोटी क़यामत तक...
दमन मैं सहेजेंगे!
फ़ना हो जायेंगे ख़ुद....
इश्क के गुलिस्तान आबाद रखेंगे!
न भुलायेंगे कभी तुझे, न भुलाने देंगे....
तेरी यादों मैं सदान जियेंगे, ये कसम खाते हैं!!
ये फासले तेरे मेरे.....
मुझे तेरे नजदीक लाते हैं..........


....एहसास!

6 टिप्‍पणियां:

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

maja aa gaya bahut acchi hai bahut sundar
kya ehessa hai jo bhi hai saamne hai
apne ehesaas ke jadu se sabdo ko naya jeevan de wo khubi aapme hai...

Vandana Shrivastava ने कहा…

bahut badiya.......bahut achchi lihki hai mukul..!! :)

एहसास ने कहा…

Dhanywaad @ Vandana di, @ Akshay!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

bahut khubsurat aur bahut hi gahre bhaw vyakt kiye hain, tumne........kaash hamare manas patal pe bhi kutchh aise shabd bante.........to hamare kavita main bhi jaan paida hoti........good going.........ehsaas!!

Surya Prakash V ने कहा…

Good one Ehsaas :)

masoomshayer ने कहा…

ye fasale tere mujeh tere nazdeek late hain bahut achha likha hai man ko bahut achha laga

Anil

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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