एहसासों की ओस


जब याद तुम्हारी आती है!
और मायूस हुआ जाता है, मन!!
जब आँखें सुख जाती है!
दुख के सेलाब डूब जाता है, दिल!!

तब चोरी से यूं पलक उठा!
चुप चुप के झाँका करते हैं!!
बस झलक तेरी दिल में यूं छुपा!
मन ही मन पुकारा करते हैं!!

ऐ काश कभी ऐसा भी हो!
तुम हो इक पल को पास मेरे!!
उगता सूरज खुशियों का जहाँ!
वहाँ एहसासों की ओस गिरे!!

दिल से इन एहसासों को लगा!
तुम आओगे इक दिन पास मेरे!!
उस दिन टूटेगी स्वप्न -भंवर !
जब तुम मुस्कुराओगे पास मेरे!!

पर एहसासों की इस ओस को!
नैनों से संवारा करते हैं!!
सपना भी हकीकत हो जाये!
बस यही दिलासा करते हैं!!

......एहसास!

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धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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