ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी


ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!
भोर भाई कब, रैन कब आयी,
बेसुध मन तोसे,मिलन न पायी!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!

सुध - बुध खो गयी, तोरे दरश मैं,
जग से जोगी मैं मधुबन मैं,
खो गयी सब धुन, मुरली धुन मैं,
हंसत-कहत जग, मैं बोराई!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!

मेरी विपदा, तू ही जाने!
जग न माने, पर तू माने!
वो मुरख तो , हैं अनजाने!
अब तो आ, दूँ दुहाई!!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!

मेरी करती मैं, तू संमती मैं!
प्रेम की प्रती मैं, तू अनुमती मैं!
ग्वाल-सखा सी, तू संगती मैं!
तोरी हर छब , मोहे सुहाई!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!
ऑरे कन्हाई तेरे दर्शन की मन मैं आयी!

......एहसास!

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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