एहसासों के आँचल की छाया मैं!
ह्रदय के तीव्र गतिज लहरों पर!!
वह कमला नयनी, मृगनयनी!
चली आयी सहसा शरमाये!!
घूंघट की बदली के पीछे!
शशि मुख सा था दिव्य स्वरूप!!
कभी मावस, कभी पुरान मासी!
विधु कलाएं नयना अभिरूप!!
रद पट रस गागर छलकाते!
तारक दंत मधुर मुस्काते!!
कभी भिचते, कभी खुल खुल जाते!
ज्यों की पुष्प सहर मुस्काते!!
चन्द्रिका शोभित मस्तक पर!
पुष्प हार लिए कोमल कर!!
देह से बहे मध्य कस्तूरी!
मुस्कान बहे ज्यों की निर्झर!!
श्वेत वर्ण और कोमल काया!
उसपे मलमल, रक्तिम साया !!
शीर्ष से तल तक स्वर्णिम आभा !
क्या ये मेरे स्वप्न की काया!!
.......एहसास !
ह्रदय के तीव्र गतिज लहरों पर!!
वह कमला नयनी, मृगनयनी!
चली आयी सहसा शरमाये!!
घूंघट की बदली के पीछे!
शशि मुख सा था दिव्य स्वरूप!!
कभी मावस, कभी पुरान मासी!
विधु कलाएं नयना अभिरूप!!
रद पट रस गागर छलकाते!
तारक दंत मधुर मुस्काते!!
कभी भिचते, कभी खुल खुल जाते!
ज्यों की पुष्प सहर मुस्काते!!
चन्द्रिका शोभित मस्तक पर!
पुष्प हार लिए कोमल कर!!
देह से बहे मध्य कस्तूरी!
मुस्कान बहे ज्यों की निर्झर!!
श्वेत वर्ण और कोमल काया!
उसपे मलमल, रक्तिम साया !!
शीर्ष से तल तक स्वर्णिम आभा !
क्या ये मेरे स्वप्न की काया!!
.......एहसास !
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