"कविता ऐ मौत ",
तू ही जीवन का सार है!
तू ही जिंदगी के हर सुख की झंकार है.....
है निराकार, फ़िर भी महा विकराल...
नही तेरा कोई पारावार है!!
है शाश्वत सत्य ,
तू फ़िर भी घोर अन्धकार है!
है असीम शान्ति पुंज,
फ़िर भी कलह का प्रसार है!!
तू ही आदि,
तू ही अंत......
तू ही जिंदगी का आधार है!
ऐ मौत तू ही जीवन का सार है!!
.......एहसास!
तू ही जीवन का सार है!
तू ही जिंदगी के हर सुख की झंकार है.....
है निराकार, फ़िर भी महा विकराल...
नही तेरा कोई पारावार है!!
है शाश्वत सत्य ,
तू फ़िर भी घोर अन्धकार है!
है असीम शान्ति पुंज,
फ़िर भी कलह का प्रसार है!!
तू ही आदि,
तू ही अंत......
तू ही जिंदगी का आधार है!
ऐ मौत तू ही जीवन का सार है!!
.......एहसास!
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