न सूरत जानू न मन....
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन....!
दूर से कुछ एह्सास उडे चले आते हैं!
न जाने कैसे सारा समां महकाते हैं!!
नही दिखे कहीं गुलाब ........
पर न जाने कैसे महकते हैं गुलाबों के मधुबन!!
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
छाया से डर, अकेले एक कदम नही बड़ा पाते!
मन के रथ पे सारा जहाँ नाप आते!!
अकेले हैं यूं तो जहाँ मे.....
पर न जाने कितने एहसास के हम-दम
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
कितने रिश्ते दुनिया ने बनाये!
चाहे न चाहे, हमने रिश्ते निभाए !!
कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं,
जो इस कलम ने बनाये!
एहसासों ने निभाए, एहसासों के अंतर्मन.....
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
.....एहसास!
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन....!
दूर से कुछ एह्सास उडे चले आते हैं!
न जाने कैसे सारा समां महकाते हैं!!
नही दिखे कहीं गुलाब ........
पर न जाने कैसे महकते हैं गुलाबों के मधुबन!!
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
छाया से डर, अकेले एक कदम नही बड़ा पाते!
मन के रथ पे सारा जहाँ नाप आते!!
अकेले हैं यूं तो जहाँ मे.....
पर न जाने कितने एहसास के हम-दम
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
कितने रिश्ते दुनिया ने बनाये!
चाहे न चाहे, हमने रिश्ते निभाए !!
कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं,
जो इस कलम ने बनाये!
एहसासों ने निभाए, एहसासों के अंतर्मन.....
न सूरत जानू न मन...
शब्दों से शब्दों का ये कैसा बन्धन.....
.....एहसास!
2 टिप्पणियां:
शब्दों से शब्दों का बंधन,
नहीं कभी मिटता है
जब तक हैं ये चाँद-सितारे
ये साथ-साथ चलता है............
एहसास का सागर लहरों की गरिमा के साथ रहे,यही दुआ है .
कितने रिश्ते दुनिया ने बनाये!
चाहे न चाहे, हमने रिश्ते निभाए !!
कुछ ऐसे भी रिश्ते हैं,
जो इस कलम ने बनाये!
एहसासों ने निभाए, एहसासों के अंतर्मन.....
ye baat dil ko chhuu gayee...
tumhare ehsaas issee tarah kutchh dikhata rahe..........
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