सारी कायनात प्रीत के आगोश मैं है!
हम तुम क्यों खामोश हैं!!
जीया की हर धड़कन ......
गीत प्यार का गाती है......
सासों की आरोहन - अवरोहन.....
तुम्हे अपना बताती है......
लहू भी लिए रंग प्रेम का है.......
सारी कायनात प्रीत के आगोश मैं है!
हम तुम क्यों खामोश हैं!!
तड़पते होटों की कसक को .....
बहते आंखों के नीर दिखाते हैं.....
आलिंगन को कितने अधीर है........
ये फैले मेरे बाजू बताते हैं .....
झुकी नज़रें अब प्यार पाने को हैं....
सारी कायनात प्रीत के आगोश मैं है!
हम तुम क्यों खामोश हैं!!
पंछी भी बिन कहे साथी का दर्द समझते हैं....
प्रीत का बिन बोले........
एहसास वो करते हैं....
दूरी अनंत, अम्बर और धारा मैं है......
फ़िर भी वो क्षितिज पर मिलते हैं......
प्रीत और प्रीती का मिलन .....
बिन लाव्जों के करते हैं........
अब शब्दों का सूखने को कोष है......
सारी कायनात प्रीत के आगोश मैं है!
हम तुम क्यों खामोश हैं!!
.......एहसास
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