फ़साना है एक फ़साना था!
कैसी ये जिन्दगी, क्या इसके जीने का बहाना था!
क्या हकीकत है जो जी रहे,जो बीत गया वो भी क्या फ़साना था!!
जोश था मुझमे, तान लिए थे पंख,मुझे शितिज को छुके आना था!
हर तूफ़ान को झेला मैंने,पर टूटी वो ही शाख,
जिसपे बनाया मैंने आशियाना था!!
आँखों मैं रहे आंसू,पर राह मैं न रुकना जाना था!
दुनिया हंसती रही हमपे,और हमारी चाहत बस उनके शिकवे मिटाना था!!
साथी बने थे दुश्मन,या दुश्मनो को अपना जाना था!
सितम जो भी करे, हमें तो....हंस के अपना पन निभाना था!!
हारे नहीं खुद से, न ही हालातों का बुरा माना हे!
बस टूट जाता है कभी कभी ये दिल भी,छलकती आँखों से इतना बताना हे!!
खैर बिछा लो कांटे राहों मैं,हमें इन्ही राहों पे लहू से,
अपने क़दमों के निशाँ छोड़ जाना है!
लिख देंगे ऐसी इबारत बल अपने,खुदा भी कहेगा.......वाह!....एहसासों का खूब फ़साना हे!!
.....एहसास!
10 टिप्पणियां:
शितिज को चुके आना था!
तूती वो ही शाख,
हंस की अपना पन निभाना था!!
हरे नहीं खुद से
bahut mistake hai hindi lipi main edit karo plz
ek baar har line ko thiik se padho or sahi karo sara bhaav badal raha hai rachna kaa
Dhanywaad Nirjhar ji.....apke sujhaw k liye.
behatareen rachanaa....badhai
bahut hi badiya...
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..
Banned Area News : People in China's big cities feel lonely
bhaut hi khubsurat....
bahut khubsurat
kya bat hai....
हर तूफ़ान को झेला मैंने,पर टूटी वो ही शाख,
जिसपे बनाया मैंने आशियाना था!!....very good
bahut sundar ehsaas!
ahut sundar ehsaas!
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