हाथ थाम ले, दो कदम साथ चल ले....
शायद जिंदगी की राह सरल हो जायेगी!
बढ़ा दिए हैं हाथ देख तेरी तरफ़ एहसास ने...
आ उतर जा "एहसास के सागर " मैं, एहसास की कद्र और बढ़ जायेगी!!
......एहसास!
" इस जमीन ने, उन् बद्मानो ने!
रात के उजालों मैं छलकते,
दर्द के पैमानों ने!
मेरे हंसीं ख्वाब जप्त किए हैं.....
होश के कद्रदानों, इन् हुस्न वालों ने!!
.......अनूप पाण्डेय ( एहसास का अन्नू )
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मौन हुए जाते ये लब, यूँ आँख भर आयी !
ये दिल है दिल मासूम तेरा, क्यूँ इसने सज़ा पायी!
गर खुफ्फ़ जग का था तो, इश्कुए क्यूँ किया जालिम ...
ताबूत से रुक्सत हो रही रूह, तू नही आयी !
कैसी रुसवाई !!
एहसास!