बंद पलक संग संग मुस्काया
खुली पलक फ़िर रुला गया!
मैं साथी तेरे, एक साथ को तेरे,
मंजिल की डगर को भुला गया!!
कभी लडे कभी संग हंसा किए!
अनजाने भाव गीत जिया किए!
तू लूट के वो लम्हों को मेरे,
मुझे विरह की अभिव्यक्ति बना गया!!
बंद पलक संग संग ...............
कभी खुशियों से था आबाद जहाँ मेरा!
अब दुःख की घटाएं घिर आयीं!!
कभी मल्हारें आंखों ने गाईं,
अब दर्द भरी कलम थमा गया!!
बंद पलक संग संग.......
जब तुम थे और था साथ तुम्हारा,
तब ये ही था संसार मेरा!!
अब अश्रु - कलम संग संसार खड़ा,
पर अपना होकर भी तू पराया बना गया!!
बंद पलक संग संग ............
आंखों मैं नीर, शब्दों मैं पीर!
चित शांत लिए पर,
भावों मैं अधीर!!
तू मन मीत को,
दर्द गीत बना गया!!
बंद पलक संग संग मुस्काया!
खुली पलक फ़िर रुला गया!!
..........एहसास!
7 टिप्पणियां:
तू मन मीत को,
दर्द गीत बना गया!!
.......
तेरे मन का पीर..
एक-एक शब्द.. बन के तीर...
दिल में समां गया..
पढ़ के एक आह भर निकली है जिसे शब्दों में नहीं लिख सकता...
प्यारी रचना है..!!!!
बहुत शानदार ................
अच्छे भाव है रचना में ......
bahut badiya mukul...padh kar jo laga unhe shabdon mai pirona mushkil hai..!!
बहुत गहराई है इस रचना में,
यूँ तुम्हारे हर एहसासों में एक अलग-सी
बात होती है.........
bahut khubsurat......bahut guddh
kaash hamre man mastisk main bhi kutchh aise bhaw dikhte taaki mujhe bhi unko panno pe ukerne main khushi hoti.......superb brother..........!!
सच में खोया हुआ प्यार बड़ा निष्ठुर होता है....यादों के तरकश में बीते हुए पलों के तीरों का निशाना समय की सीमाओं के पार भी नहीं चूकता... और मन कब तक कल्पनाओं की आड़ ले कर विरह की पीडा से बचेगा...बहुत बारीक अभिव्यक्ति है आपकी कविता me आपके यादों के अह्शास की..
बेहद भावपूर्ण और मन के बसने वाली कविता.!!!
Dear Ehsaas, I cant relate to these feelings anymore, so maybe its not right for me to comment.
All I will say is, whatever you are experiencing - enjoy it while it lasts.
Bless you!
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